राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची : झारखंड में कभी भी कुछ भी हो सकता है। कम से कम ताजा सियासी हालात तो यही बता रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खदान लीज मामले में दोहरे सरकारी लाभ लेने और जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन करने के मामले में चौतरफा घिर गए हैं। सो, चाहे-अनचाहे उनकी कुर्सी खतरे में है। हेमंत पर अगर दोष साबित हुआ तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। विधायक के पद से भी वे हटा दिए जाएंगे। ऐसे में झारखंड सरकार बुरी तरह संकट में घिर जाएगी। झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन को मुख्यमंत्री के लिए नया चेहरा तलाशना होगा। बहरहाल, तमाम संवैधानिक संस्थाएं एक राज्य के मुख्यमंत्री पर लग रहे गंभीर आरोपों को लेकर रेस हो गईं हैं। अब सीएम हेमंत के सामने खदान चलाने के संगीन आरोपों की सफाई में एक साथ राज्यपाल, झारखंड हाई कोर्ट और चुनाव आयोग तीनों को संभालने की बड़ी चुनौती है। जिस पर चौथे कोण से केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय भी पूरे मामले के संज्ञान में आने के बाद पूरे मामले पर नजदीकी नजर रख रहा है। इधर विपक्ष में बैठी भाजपा की सियासत भी सीएम हेमंत को हटाने को लेकर तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और बीजेपी विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एक सुर से हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की आवाज बुलंद कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी और कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा रखी।
झारखंड केमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएम सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने नाम पत्थर खदान की लीज लेने के आरोप का का मामला भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) नई दिल्ली तक पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया था। दोनों पर रघुवर दास द्वारा लगाये गये आरोप और इससे संबंधित कागजातों को सत्यापित करने के लिये भारत निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य सरकार से पत्राचार किया गया है। हालांकि यह पत्र अगले एक दो दिन में राज्य सरकार को मिलने की उम्मीद है। राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्य सचिव से भारत निर्वाचन आयोग के पत्राचार को लेकर चर्चा की है।
इसी कड़ी में अब नया नाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चहेते प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू के काले कारनामों का काला चिट्ठा उजागर सर्वोच्च न्यायालय में हुआ है! इस संबंध में जानकारी मिली है कि श्री प्रसाद के नाम पर साहिबगंज के मोजे पकड़िया में स्टोन माइंस है! यह स्टोन माइंस का लीज शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर है । जिसका प्रोपराइटर अभिषेक प्रसाद हैं! यह माइंस करीबन 11.70 एकड़ में फैला हुआ है! राज्य में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने के बाद और झारखंड स्टेट पोलूशन कंट्रोल बोर्ड ने 28 नवंबर 2021 को स्टोन माइंस पर काम लगाने का सीटीई और 12 जनवरी 2022 को इसे चलाने का सीटीओ भी जारी कर दिया है! उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से सीएम हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने नाम से पत्थर खदान लीज लेने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी आदि के साथ राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और इस संबंध में शिकायत की। उन्होंने राज्यपाल को इससे संबंधित कागजात भी उपलब्ध कराये। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री को विधान सभा की सदस्यता के लिये अयोग्य बताते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की। वहीं बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया था। भाजपा नेताओं ने हेमंत और बसंत सोरेन पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। कहा कि यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1) (डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। इसके साथ ही भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय लेकर निर्णय लेने का भी आग्रह किया। बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने नाम से पत्थर खदान का लीज लेने का आरोप है। इस पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर सरकार से जवाब मांगा गया है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कुछ दिन पहले ही मीडिया को बताया कि सीएम हेमंत सोरेन के विधायक भाई वसंत सोरेन माइनिंग कंपनी में पार्टनर हैं। उन्होंने दोनों भाइयों पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया और विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। रघुवर ने कहा है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा खदान लीज का कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी मंत्रियों के लिए आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए तुरंत पद से बर्खास्त कर देना चाहिए। इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झामुमोनीत गठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर भी कोरोना महामारी के पैसे हड़पने के संगीन आरोप लगे हैं। पूर्व मंत्री और जमशेदपुर केनिर्दलीय विधायक सरयू राय ने बीते दिन बन्ना गुप्ता के खिलाफ बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि मंत्री ने खुद और अपने अधीनस्थ 59 अफसर-कर्मी को कोरोना प्रोत्साहन राशि के नाम पर एक महीने का अतिरिक्त वेतन देने का आदेश दिया। यह सरासर सरकारी पैसे की लूट है। इस मामले में सरयू ने सीएम हेमंत से मंत्री बन्ना गुप्ता को बर्खास्त करने और भ्रष्टाचार के मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है। इधर बन्ना गुप्ता ने बतौर स्वास्थ्य मंत्री कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के एवज में खुद को कोरोना इंसेंटिव के तौर पर एक महीने का अतिरिक्त वेतन का आदेश दिया। तब सरयू राय ने दस्तावेजी सबूतों के साथ इस पूरे मामले को उजागर किया, जिससे सरकार और मंत्री बन्ना गुप्ता की खूब किरकिरी हो रही है। आनन-फानन में कोरोना प्रोत्साहन राशि देने का आदेश रद करते हुए मंत्री बन्ना गुप्ता ने मीडिया में सफाई दी।
सरयू राय को निंदक बताते हुए कहा कि उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया है। जबकि सरयू ने मार्च लूट में तकनीकी गड़बड़ी के चलते अकाउंट में पैसा ट्रांसफर नहीं होने और कोरोना फंड लैप्स कर जाने की दलील दी है। बहरहाल झारखंड में पल-पल रंग बदलती सियासत का अलगा रंग कौन सा होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन, वेट एंड वाच के भरोसे बैठी राजनीतिक पार्टियां आमने-सामने लड़ाई के मूड में हैं।